Wednesday, May 15, 2013

दुख: है......:-(


दिल में बहुत दर्द है
क्या बताऊँ किसे सुनाऊँ
हँस तो रही हूँ दिखावटी
पर इन आँसुओं को कैसे छुपाऊँ

एक ख्वाहिश है दिल में
जो कुचल दी सबने
आब तो थामे भी थमते नहीं हैं आँसू
बची  है तो बस एक दबी सी आशा

तरस गई
बहुत बरस गई
नजाने कब वो दिन आएगा
जो विशवास जगाएगा
अब डर डर के जीती हूँ
जी जी के पीती हूँ आँसू

दर्द बहुत है दिल में
क्या बताऊँ किसे सुनाऊँ
हँस तो रही हूँ दिखावटी
पर इन आँसुओं को कैसे छुपाऊँ।।

1 comment:



  1. ☆★☆★☆



    दर्द बहुत है दिल में
    क्या बताऊँ किसे सुनाऊँ
    हँस तो रही हूँ दिखावटी
    पर इन आँसुओं को कैसे छुपाऊँ

    वाह कहूं या आऽह…
    आदरणीया Donal Bisht जी
    अच्छा लिखा है...
    मन के भाव कविता में ढालने से मन हल्का होता है

    सुंदर रचना के लिए साधुवाद
    आपकी लेखनी से सदैव सुंदर श्रेष्ठ सार्थक सृजन होता रहे...

    हार्दिक बधाई और शुभकामनाओं मंगलकामनाओं सहित...
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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